हथकरघा हाट : महिला बुनकरों, शिल्पकारों, उद्यमियों, डिजाइनरों द्वारा 75 स्टॉल लगाए जाएंगे

इंडिया एज न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली : अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस समारोह के एक हिस्से के रूप में, कपड़ा मंत्रालय, भारत सरकार हथकरघा हाट, जनपथ, नई दिल्ली में एक सप्ताह तक चलने वाला उत्सव कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। बड़ी संख्या में लोगों, विशेषकर महिलाओं को रोजगार प्रदान करने वाले प्रमुख क्षेत्रों में से एक क्षेत्र होने के अलावा हथकरघा और हस्तशिल्प क्षेत्र हमारे देश की समृद्ध और विविध सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक भी हैं। भारत की आजादी के इस 75वें वर्ष में महिला हथकरघा बुनकरों, शिल्पकारों, उद्यमियों, डिजाइनरों द्वारा 75 स्टॉल लगाए जाएंगे। इनमें कई मास्टर शिल्पकार और राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता और महिलाओं द्वारा स्थापित/नेतृत्व वाले संगठन शामिल हैं।
टेक्सटाइल में ‘सर्कुलरिटी’ का उद्देश्य ‘टेक-मेक-डिस्पोज लीनियर वैल्यू चेन’ से एक ऐसे ह्यसर्कुलर सिस्टमह्ण में शिफ्ट करना है, जहां वैल्यू को लंबे समय तक बनाए रखा जाता है। परिवर्तन के केंद्र में महिलाओं को शामिल करके फैशन में सर्कुलरिटी एक प्रमुख जेंडर विचार को रेखांकित करती है। मूल्य श्रृंखला के ऐसे परिवर्तन से निमार्ताओं को सम्मानित और प्रेरित करने के लिए, सर्कुलर रणनीतियों, प्रक्रियाओं और अंतिम उत्पादों पर विशेष ध्यान दिया जाता है जो पारंपरिक रैखिक मॉडल से अलग होते हैं और उत्पाद के जीवन को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करते हैं। आमंत्रित संगठन महिला-स्थापित/नेतृत्व वाले संगठन हैं, जो रिसायकल, मरम्मत, पुन: उपयोग/पुनर्निर्माण, किराये और पुनर्विक्रय जैसी विभिन्न सर्कुलर रणनीतियों को नियोजित करके मूल्य धारा में कचरा कम करने पर केंद्रित हैं। इन रणनीतियों के साथ, ये महिलाएं लैंडफिल पर भार कम करने और कचरे से उठाने के लिए आंदोलन की अगुआई कर रही हैं।
इसी तरह, वर्तमान संदर्भ में विशेष रूप से एसडीजी दायित्वों/प्रतिबद्धताओं के अनुसार स्थिरता एक महत्वपूर्ण पहलू है। हथकरघा और हस्तशिल्प परंपरागत रूप से महिलाओं के लिए स्वरोजगार, प्राकृतिक स्थानीय कच्चे माल, प्राकृतिक रंगों, पुनर्नवीनीकरण सामग्री आदि जैसे सभी मोर्चों पर सबसे टिकाऊ क्षेत्रों के रूप में अर्हता प्राप्त करते हैं, जो इकोसिस्टम में सभी तत्वों के बीच सामंजस्य बनाते हैं।
अन्य प्रमुख आकर्षण हैं:
आगंतुक सीधे बुनकरों और शिल्पकारों से असली हथकरघा और हस्तशिल्प वस्तुएं खरीद सकेंगे।
चंदेरी (महेश्वरी), पैठानी, कांचीपुरम साड़ियां, लखनवी चिकनकारी, कोटा डोरिया सहित प्रसिद्ध बुनाई और दस्तकारी साड़ियों/कपड़ों और चिकनकारी, बगरू/सांगानेर ब्लॉक प्रिंट, टाई एंड डाई की बिक्री।
आभूषण, कलमकारी, कोल्हापुरी चप्पल, हैंडबैग, क्लच, फैशन के सामान, लाख की चूड़ियाँ, बेंत और बांस की वस्तुएँ, टेराकोटा, जरी और जरदोजी, कढ़ाई और क्रोशिया सहित फुलकारी, जूट वस्तुओं सहित दस्तकारी वस्तुओं की बिक्री।
लाइव प्रदर्शन और गतिविधि कॉर्नर – हथकरघा बुनाई, लाख की चूड़ी बनाना, कुम्हार का पहिया आदि।
महिला लोक, आदिवासी नर्तकियों और संगीतकारों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम/लाइव प्रदर्शन। पारंपरिक कठपुतली (कठपुतली) प्रदर्शन।
स्थिरता पर कार्यशालाएं; बुनकर डिजाइनरों के साथ बुनकर संबंध; उत्पाद विविधीकरण।
क्रेडिट सुविधा, बीमा सहित हथकरघा बुनकरों और शिल्पकारों के लिए उपलब्ध लाभों से संबंधित जानकारी का प्रचार-प्रसार करना।
पारंपरिक व्यंजन और स्वाद।
हस्तशिल्प और हथकरघा क्षेत्र असंगठित क्षेत्र हैं, जो लगभग 65 लाख दस्तकारों और बुनकरों को आजीविका प्रदान करते हैं। इनमें देश भर में हथकरघा क्षेत्र में कार्यरत 25.46 लाख महिलाए और हस्तशिल्प क्षेत्र में कार्यरत 20 लाख महिलाएं शामिल हैं।
हस्तशिल्प और हथकरघा क्षेत्र के उन व्यक्तियों को विशिष्ट पहचान पत्र जारी किए जाते हैं जो किसी विशेष शिल्प का अभ्यास करते हैं।
अब तक 20 महिला कारीगरों को शिल्प गुरु और 181 महिला कारीगरों को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। हस्तकला के लिए वार्षिक रूप से 5 राष्ट्रीय पुरस्कार विशेष रूप से महिला कारीगरों के लिए आरक्षित हैं।
6 महिला बुनकरों को संत कबीर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है और 73 महिला बुनकरों को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। कमलादेवी चट्टोपाध्याय पुरस्कार, विशेष रूप से महिला बुनकरों को सम्मानित करने के लिए दिया जाता है।